क्रांति १८५७
1 8 5 7

यह वेबसाईट इस महान राष्ट्र को सादर समर्पित।

1 9 4 7

झांसी की रानी का ध्वज

स्वाधीन भारत की प्रथम क्रांति की 150वीं वर्षगांठ पर शहीदों को नमन
वर्तमान भारत का ध्वज
मुख्य पृष्ठ प्रस्तावना प्रमुख सवाल जवाब आपकी राय संपर्क करें सहायता
 Home Introduction FAQ Feedback Contact Us Help
क्रांति १८५७
 

प्रस्तावना

  रुपरेखा
  1857 से पहले का इतिहास
  मुख्य कारण
  शुरुआत
  क्रान्ति का फैलाव
  कुछ महत्तवपूर्ण तथ्य
  ब्रिटिश आफ़िसर्स
  अंग्रेजो के अत्याचार
  प्रमुख तारीखें
  असफलता के कारण
  परिणाम
  कविता, नारे, दोहे
  संदर्भ

विश्लेषण व अनुसंधान

  फ़ूट डालों और राज करो
  साम,दाम, दण्ड भेद की नीति
  ब्रिटिश समर्थक भारतीय
  षडयंत्र, रणनीतिया व योजनाए
  इतिहासकारो व विद्वानों की राय में क्रांति 1857
  1857 से संबंधित साहित्य, उपन्यास नाटक इत्यादि
  अंग्रेजों के बनाए गए अनुपयोगी कानून
  अंग्रेजों द्वारा लूट कर ले जायी गयी वस्तुए

1857 के बाद

  1857-1947 के संघर्ष की गाथा
  1857-1947 तक के क्रांतिकारी
  आजादी के दिन समाचार पत्रों में स्वतंत्रता की खबरे
  1947-2007 में ब्रिटेन के साथ संबंध

वर्तमान परिपेक्ष्य

  भारत व ब्रिटेन के संबंध
  वर्तमान में ब्रिटेन के गुलाम देश
  कॉमन वेल्थ का वर्तमान में औचित्य
  2007-2057 की चुनौतियाँ
  क्रान्ति व वर्तमान भारत

वृहत्तर भारत का नक्शा

 
 
चित्र प्रर्दशनी
 
 

क्रांतिकारियों की सूची

  नाना साहब पेशवा
  तात्या टोपे
  बाबु कुंवर सिंह
  बहादुर शाह जफ़र
  मंगल पाण्डेय
  मौंलवी अहमद शाह
  अजीमुल्ला खाँ
  फ़कीरचंद जैन
  लाला हुकुमचंद जैन
  अमरचंद बांठिया
 

झवेर भाई पटेल

 

जोधा माणेक

 

बापू माणेक

 

भोजा माणेक

 

रेवा माणेक

 

रणमल माणेक

 

दीपा माणेक

 

सैयद अली

 

ठाकुर सूरजमल

 

गरबड़दास

 

मगनदास वाणिया

 

जेठा माधव

 

बापू गायकवाड़

 

निहालचंद जवेरी

 

तोरदान खान

 

उदमीराम

 

ठाकुर किशोर सिंह, रघुनाथ राव

 

तिलका माँझी

 

देवी सिंह, सरजू प्रसाद सिंह

 

नरपति सिंह

 

वीर नारायण सिंह

 

नाहर सिंह

 

सआदत खाँ

 

सुरेन्द्र साय

 

जगत सेठ राम जी दास गुड वाला

 

ठाकुर रणमतसिंह

 

रंगो बापू जी

 

भास्कर राव बाबा साहब नरगंुदकर

 

वासुदेव बलवंत फड़कें

 

मौलवी अहमदुल्ला

 

लाल जयदयाल

 

ठाकुर कुशाल सिंह

 

लाला मटोलचन्द

 

रिचर्ड विलियम्स

 

पीर अली

 

वलीदाद खाँ

 

वारिस अली

 

अमर सिंह

 

बंसुरिया बाबा

 

गौड़ राजा शंकर शाह

 

जौधारा सिंह

 

राणा बेनी माधोसिंह

 

राजस्थान के क्रांतिकारी

 

वृन्दावन तिवारी

 

महाराणा बख्तावर सिंह

 

ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव

क्रांतिकारी महिलाए

  1857 की कुछ भूली बिसरी क्रांतिकारी वीरांगनाएँ
  रानी लक्ष्मी बाई
 

बेगम ह्जरत महल

 

रानी द्रोपदी बाई

 

रानी ईश्‍वरी कुमारी

 

चौहान रानी

 

अवंतिका बाई लोधो

 

महारानी तपस्विनी

 

ऊदा देवी

 

बालिका मैना

 

वीरांगना झलकारी देवी

 

तोपख़ाने की कमांडर जूही

 

पराक्रमी मुन्दर

 

रानी हिंडोरिया

 

रानी तेजबाई

 

जैतपुर की रानी

 

नर्तकी अजीजन

 

ईश्वरी पाण्डेय

 
 

पश्चिम बंगाल के क्रांतिकारी


1. प्रफ्फुला चाकी
2. भुपेन्द्रनाथ दत्त
3. खुदी राम बोस
4. शरत चन्द्र बोस
5. रामानन्द चैटर्जी
6. जितेन्द्रनाथ दास
7. बटुकेश्वर दत्त
8. प्रताप चन्द्र मजूमदार
9. वी. के. मेनन
9. ब्रह्मबांधन उपाध्याय
10. हेमचंद्र बसु
11. गोपाल सेन
12. गोपीनाथ शाह
13. केशव चन्द्र सेन

1. प्रफ्फुला चाकी

प्रफ्फुला चाकी का जन्म उत्तरी बंगाल के जिले बोगरा के एक गांव में 10 दिसंबर, सन् 1888 में हुआ। वे मध्यवर्गीय हिन्दू कायस्थ परिवार से थे। उनकी माता का नाम स्वर्णमयी तथा पिता का नाम राज नारायण था। जब वे मात्र 9 वर्ष की अवस्था में थे तो उनके सिर से उनके पिता का साया उठ गया तथा उनकी माँ ने अनेक कठिन समस्याओं का सामाना करते हुए उनका पालन-पोषण किया। चाकी ने हाई स्कूल तक पढ़ाई की। वे कलकत्ता के जगन्तर क्रांतिकारी समूह की ओर आकर्षित हुए जिसके चलते वे बिरेन्द्र कुमार के निकट सम्पर्क में आए। वे एक अंग्रेज अधिकारी किंग्स फोर्ड के क्रूर दमनकारी तरीके से तंग आकर उनकी हत्या करने के लिए निर्दिष्ट किये गये। चाकी तथा खुदी राम बोस ने कुछ दिनों तक किंग्सफोर्ड की प्रत्येक गतिविधियों पर नजर रखी किन्तु गलती से उन्होंने किसी अन्य वाहन को विस्फोट से उड़ा दिया। चाकी पकडे गए इससे पहले की पुलिस उन्हे गिरफ्तार करती उन्होंने स्वयं को गोली मार ली और मातृभूमि पर शहीद हो गए।


2. भुपेन्द्रनाथ दत्त
भुपेन्द्रनाथ दत्त स्वामी विवेकान्द के भाई थे उनका जन्म चार सितम्बर, 1880 में हुआ। भुपेन्द्रनाथ ने पण्डित ईश्वर चन्द्र द्वारा स्थापित स्कूल में अपनी प्रारंभिक शिक्षा सम्पन्न की। वे सन 1902 में बंगाल रिवोल्यूश्नरी सोसइटी से जूड़ गये तथा 1907 में युगान्तर के सम्पादक नियुक्त हुए।

उन पर राजद्रोह का आरोप लगाकर गिरफ्तार कर लिया गया। रिहाई के पश्चात् उन्हें विदेशों में जाने की सलाह दी गयी। तदन्तर वे अमेरिका प्रस्थान कर गये। उन्होंने न्यूयार्क विश्वविद्यालय से स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की तथा ब्रूम विश्वविद्यालय से सन 1914 में स्नातकोतर की परीक्षा उत्तीण की।

प्रथम विश्व युद्ध के दौरान वे जर्मनी से कार्यरत थे। अमेरिका में उन्होंने स्वयं को गदर पार्टी के काफी निकट रखा।

भुपेन्द्र नाथ 1925 में भारत लौट आए तथा 1925 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से जुड़ गये। वे ट्रेड यूनियन फिल्ड में विशेष रूप में सक्रिय थे।

भुपेन्द्र नाथ एक सशक्त लेखक थे उनकी कुछ रचनाएं निम्न है : डाइलेक्टीस ऑफ हिन्दू रिट्यूलिज्म, स्वामी विवेकान्द पेट्रिआट प्रोफेट, ओरिजन एण्ड डेवलपमेन्ट आफ इण्डियन साशल पॉलाइटी। 25 दिसम्बर, 1961 को उनका देहान्त हो गया।

3. खुदी राम बोस
खुदी राम बोस का जन्म जिला मिदनापुर के हबीबपुर गांव में हुआ। जब वे केवल, सात वर्ष की आयु के थे तो उनके पिता का देहान्त हो गया। उनका पालन-पोषण उनकी बड़ी बहन अपरूपा राय ने किया।

खुदी राम बोस ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल में की तथा बाद में बिरदानपुर से ग्रहण की। खुदी राम बोस का ध्यान बंगाल विभाजन के विद्रोह ने सतेन बोस के मागदर्शन में स्वाधीनता की ओर खींचा।

खुदी राम बोस तथा चाकी ने मिलकर मुजफ्फरपुर के सेशन जज श्री किंग्सफोर्ड को मारने की योजना बनाई परन्तु गलती से उन्होंने दो महिलाओं को ले जाने वाली बग्गी के बम से चिथड़े उड़ा दिये। खुदी राम बोस को गिरफ्तार कर लिया गया उन्होंने बम फैंकने की पूरी जिम्मेदारी ऊपर ले ली। उन्हें मृत्युदंड की सजा सुनाई गयी तथा 1908 को उन्हें फांसी पर लटका दिया गया।

4. शरत चन्द्र बोस
शरत चन्द्र बोस का जन्म 7 सितम्बर, 1889 में कलकत्ता में हुआ। उनके पिता जानकी नाथ बोस उड़ीसा में कटक के एक प्रमुख अधिवक्ता थे। वे सुभाष चन्द्र बोस के बड़े भाई थे दोनों भाई एक-दूसरे के प्रति अत्यन्त समर्पित थे।

शरत चन्द्र की शिक्षा-दीक्षा कटक तथा कलकत्ता में सम्पन्न हुई। उन्होंने इंग्लैण्ड से कानून में शिक्षा प्राप्त की तथा घर वापिस लौट कर उन्होंने कलकत्ता हाई कोर्ट से अपनी वकालत शुरू कर दी। शरत की वकालत दिन पर दिन फलने-फूलने लगी।

शरत चंद्र ने सी.आर. दास के निर्देशन में अपने कैरियर की शुरुआत की तथा कलकत्ता निगम के कार्यों में वषोर्ं तक चर्चित रहे। अहिंसा में विश्वास रखने के बावजूद उनका क्रांतिकारियों के प्रति सहानुभूति का दृष्टिकोण था। वे काँग्रेस कार्यकारी समिति के सदस्य थे तथा बंगाल विधान सभा में काँग्रेस संसदीय पार्टी के नेता थे। वे अगस्त 1946 में केंद्र की अंतरिम सरकार में शामिल हुए।

शरत ने बंगाल विभाजन का विरोध किया था। वे बंगाल को भारत और पाकिस्तान का अलग एक स्वाधीन राज्य बनाना चाहते थे। किंतु इसमें असफल रहे।

5. रामानन्द चैटर्जी
रामानन्द का जन्म 29 मई, 1865 को बैंकुरा में हुआ था। उन्होंने कलकत्ता और बैंकुरा से अपनी शिक्षा-दीक्षा ग्रहण की। उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से सन 1890 में अंग्रेजी में स्नात्तकोत्तर परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीण की। वे आचार्य जगदीश चन्द्र बोस तथा शिवनाथ शास्त्री से अत्यन्त प्रभावित थे। वे साधरण ब्रह्म समाज से अत्यंत प्रभावित हुए।

रामानन्द चैटर्जी भारतीय पत्रिका के एक पुरोगामी शख्सियत थे। उन्होंने प्रवासी, बंगाल भाषा, मॉडर्न रिव्यु अंग्रेजी में तथा 'विशाल भारत' जैसी पत्रिकाएँ निकाली। उन्हें रामानन्द लीग ऑफ नेशनल्स द्वारा निमन्त्रण मिला और वे सन् 1926 में जेनेवा दौरे पर गए। वे वहां गये और कुछ देशों का भ्रमण किया।

रामानन्द भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रबल समर्थक थे। कुछ वर्षां के पश्चात् उन्होंने कांग्रेस राष्ट्रवादी पार्टी और हिन्दू सभा का सहयोग दिया। रामानन्द सम्पादकीय विचार की स्वाधीनता के प्रबल समर्थक थे।

6. जितेन्द्रनाथ दास
जितेन्द्रनाथ दास का जन्म 27 अक्टूबर, 1904 में कलकत्ता में हुआ था। वे मध्यवर्गीय कायस्थ परिवार से थे। उन्होंने विधासागर कालेज में बी.ए. में प्रवेश लिया किन्तु राजनैतिक गतिविधियों के चलते उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। वे बंगाल प्रान्तीय कांग्रेस समिति के सदस्य चयनित हुए। कलकत्ता में 1928 में होने वाले कांग्रेस अधिवेशन के दौरान उन्हें स्वयंसेवी सेना का प्रमुख पद दिया गया।

जतिन उत्तरी भारत में क्रांतिकारियों के सम्पर्क में आए तथा क्रांतिकारी पार्टी दल के लिए बम तैयार कर लिया। उन्हें 14 जून, 1929 को गिरफ्तार कर लिया गया तथा लाहौर भेज दिया गया। उन्होंने 13 जुलाई, 1929 में भूख हड़ताल शुरू कर दी तथा 13 सितम्बर, 1929 को उनका प्राणोत्सर्ग हो गया। उनके पार्थिव शरीर को दाह-संस्कार हेतु कलकत्ता भेज दिया गया।

7. बटुकेश्वर दत्त
बटुकेश्वर का जन्म नवम्बर, 1908 में कलकत्ता में हुआ था। उनका संबंध एक मध्यवर्गीय कायस्थ परिवार से था। उन्होंने सन् 1925 में अपनी हाई स्कूल की परीक्षा पास की। इस समय वे हिन्दुस्तान सोशलिस्ट क्रांतिकारी पार्टी से जुड़ गये तथा भगत सिंह और चन्द्रशेखर के साथ कार्य किया।

बटुकेश्वर तथा भगतसिंह ने 8 अप्रैल, 1929 को नई दिल्ली की केन्द्रीय विधान सभा में बम फैंका। दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया। उन पर लाहौर षड्यन्त्र का भी आरोप लगाया गया। सबूतों के अभाव तथा भगत सिंह की टिप्पणी द्वारा बटुकेश्वर को रिहा कर दिया गया।

बटुकेश्वर ने 1930 से 1937 तक के वर्ष अण्डमान में बिताए। गांधी जी ने उनके खराब स्वास्थ्य के आहार पर 1938 में उनकी रिहाई सुनिश्चित कराई। उन्हें 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन के तहत एक बार फिर गिरफ्तार कर लिया गया।

आजादी के उपरान्त बटुकेश्वर ने अपना जीवन शान्त भाव से जिया। 19 जुलाई 1965 में वे स्वर्ग गमन कर गये।

8. प्रताप चन्द्र मजूमदार
प्रताप चन्द्र मजूमदार का जन्म हुगली के एक उच्च मध्यवर्गीय बंगाली परिवार में 1840 में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा अपने गांव तथा कलकत्ता से प्राप्त की। सन् 1859 में दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात् उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलिज में प्रवेश ले लिया। किन्तु जल्दी ही वे देवेन्द्रनाथ टैगोर तथा केशव के माध्यम से ब्रह्म समाज की तरफ प्रवृत्त हुए।

उन्होंने भारत और विदेशों की व्यापक स्तर पर यात्रा की तथा सन् 1893 में सिकागो में एक धार्मिक संसद को संबोधित किया। वे ब्रह्म समाज के संदेश और प्रचार को भारत के विभिन्न भागों में अखबार और पत्रों के माध्यम से फैलाने में महत्त्वपूर्ण कारक थे।

उन्होंने अनेक पत्रों को सहयोग दिया तथा ब्रह्म समाज की नव विधान शाखा के सबसे महत्त्वपूर्ण अगुवा बन गये। वे उदारवादी शिक्षा और समाज सुधारों के लिए सुदृढ़ रहे।

9. वी. के. मेनन
वी. के. मेनन कलकत्ता में तीन मई, 1896 में पैदा हुए थे। वे सम्पन्न नायर परिवार से थे। उन्होंने अपनी शिक्षा दीक्षा तल्लीचरी और कालीकट से ग्रहण की। सन् 1918 में उन्होंने मद्रास के प्रेसीडेंसी कालिज से अपनी स्नात्तक की परीक्षा पास की। मेनन सन् 1924 में इँग्लैण्ड गये तथा लन्दन स्कूल ऑफ इकोनोमिक से स्नात्तकोत्तर की डिग्री अर्थशास्त्र में प्राप्त की। वे अपने प्राध्यापक हरोल्ड लास्की से अत्यन्त प्रभावित थे। उन्होंने जवाहर लाल नेहरू से भी अपने नजदीकी संबंध बढ़ाए।

मेनन ने अपनी राजनैतिक कैरियर की शुरूआत लन्दन से की जहाँ पर उनके असंख्य मित्र एवं सहयोगी थे। ब्रिटिश लेबर पार्टी से उनका सक्रिय संसर्ग था। उन्होंने लन्दन में भारत लीग की स्थापना की तथा उपमहाद्वीप में अन्तर्राष्ट्रीय सामाजिक बैठकों में हिस्सा लिया।

मेनन एक पक्के राष्ट्रवादी थे तथा 1924 से 1947 तक भारत की स्वतंत्रता के लिए कार्य किया। उन्हें संवैधानिक प्रणाली पर आगाध विश्वास था तथा अन्तर्राष्ट्रीय मामलों का गहरा ज्ञान था। वे असंख्य भारतीय अखबारों के लन्दन में संवाददाता थे। उन्होंने सम्पादक के रूप में 'पेलिकन श्रृंखला' पर कार्य किया। वे एक बौद्धिक वक्ता थे।

उन्होंने भारतीय स्वाधीनता के प्रश्न पर इंग्लैण्ड में आम जनता के विचारों को उठाया मेनन ने एन.ओ. में सन् 1946-47 में जनरल ऐसम्बली मिटिंग में भारत का प्रतिनिधित्व किया। लंदन में सन् 1947 से 1952 तक भारत के उच्चायुक्त थे। भारत सरकार में उन्होंने बगैर मंत्रालय के मंत्री के रूप में कार्य किया और 1957 से 1962 तक रक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया। भारत के रक्षा मंत्री के रूप में उनका रिकार्ड निराशानजक रहा। सन् 1962 में चीन के साथ भारत के आकस्मिक युद्ध के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया गया। उन्हें मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देने के लिए बाध्य किया गया। नेहरू की मृत्युपरांत उनकी स्थिति बिगड़ गयी। वस्तुतः 1974 से अपनी मृत्यु तक उन्होंने सेवानिवृत होकर जीवन जीया।

9. ब्रह्मबांधन उपाध्याय
श्री उपाध्याय का जन्म 11 फरवरी, 1861 को कलकत्ता के निकट खन्नन में हुआ था।

एक प्रकांड विद्वान जिनका हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत और फारसी भाषाओं पर असाधरण अधिकार था। पहले अध्याक रहे। गुरूदेव श्री रवींद्रनाथ टैगोर की शांति निकेतन की स्थापना में सहयोग दिया। भारतीय दर्शनशास्त्र पर इंग्लैंड में कई भाषण दिए।

बाद के दिनों में कई पत्रों का संपादन किया और अंग्रेजों के विरूद्ध उत्तेजक लेख लिखे। 3 सितंबर, 1907 को गिरफ्तार हुए और अदालत में अपनी सारी जिम्मेदारी स्वीकार कर ली। मुकदमा चल रहा था कि बिमारी के कारण 27 अक्तूबर, 1907 को देहावसान हो गया।

10. हेमचंद्र बसु
यह बंगाल के प्रसिद्ध क्रांतिकारी थे, जिनकी कई मामलों में पुलिस को तलाश थी।

11. गोपाल सेन
गोपाल सेन क्रांतिकारी दल के एक सक्रिय सदस्य थे और जिन दिनों बर्मा में आजाद हिंद फौज सक्रिय थी, गोपाल सेन को उससे संपर्क स्थापित करने में सफलता मिल गई थी। वह किसी बड़े षड्यंत्र की संरचना कर रहे थे; लेकिन पुलिस को उनकी गतिविधियों का पता चल गया और एक दिन कलकत्ता स्थित उनके मकान पर छापा मारा गया। वह छत के ऊपर पहुँच गए। पुलिस भी छत पर पहुँच गई। पुलिस ने उन्हें जीवित गिरफ्तार करना चाहा; पर वह उन लोगों के लिए अकेले ही भारी पड़ रहे थे। आखिर पुलिस के कुछ लोगों ने उन्हे पकड़कर तीन मंजिल मकान की छत से नीचे सड़क पर फेंक दिया। यह घटना 29 सिंतबर, 1944 की है। उसी दिन गोपाल सेन की मृत्यु हो गई।

12. गोपीनाथ शाह
गोपीनाथ शाह का जन्म पूर्वी बंगाल के हुगली जिले के समरपुर नामक स्थान पर सन् 1901 में हुआ था। समरपुर से उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की। वे युगान्तर पार्टी की ओर आकर्षित हुए। उन्हें पुलिस उपायुक्त सर चार्ल्स टेगर्ट की हत्या के लिए बुलाया गया किन्तु गलती से उन्होंने अर्नस्ट डे नामक एक अन्य अंग्रेज अधिकारी को गोली मार दी। 12 जनवरी, 1924 को उन्हें गिरफ्तार कर फांसी पर लटका दिया गया।

13. केशव चन्द्र सेन
केशव चन्द्र सेन का जन्म कलकत्ता के नजदीक एक गांव में 19 नवम्बर, 1838 में हुआ। उनके दादा रामकमल सेन एक लब्ध प्रतिष्ठित रचनाकार और शिक्षाविद थे। उनके पिता ईस्ट इण्डिया कम्पनी में अधिकारी पद पर थे तथा अपनी निष्ठा लिए जाने जाते थे। मां शारदा देवी ने अपने पुत्र को धार्मिक शिक्षा दी। केशव ने हिन्दू कॉलेज में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा पास की। सन् 1856 में उन्होंने हिन्दू कॉलिज से स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की। केशव अंग्रेजी, बंगाली और संस्कृत साहित्य के एक प्रकाण्ड विद्वान थे।

केशव 1860 में ब्रह्म समाज से जुड़ गये। वे नैतिक, अध्यात्मिक और मानवीय शिक्षा, छूआछूत उन्मूलन एवं जातिव्यवस्था, महिलाओं में शिक्षा का प्रचार करने, देशी भाषा के प्रचार करने तथा शिक्षा और आत्मसंयम पर जोर देने आदि के विकास के हिमायती थे। सन् 1862 में उन्होंने ब्रह्म समाज के अन्तर्गत प्रथम अन्तर्राजीय विवाह किया। वह उन्हीं के सुप्रयासों का ही परिणाम था कि सरकार को 1872 में ब्रह्म विवाह अधिनियम को लागू करना पड़ा।

केशव सेन ने दर्जनों पत्र निकाले थे। इण्डियन मिरर, धर्मतत्व, बालबोधिनी पत्रिका, सुलभ समाज, मैड का गुरल, धर्म, साधना, बालकबन्धु, परिचारिका और न्यू डिसपेनसन, केशव चन्द्र सेन ने ब्रह्म समाज का संदेश दूर-दूर तक फैलाया। 1857 और 1884 तक उन्होंने लगभग सम्पूर्ण भारत का दौरा किया। सन् 1870 में वे इंग्लैण्ड गये। इंग्लैण्ड में उनका गरम जोशी से स्वागत किया गया। उन्होंने असंख्य लोकप्रिय नेताओं से भेंट की तथा नवीन विक्टोरिया के साथ मुलाकात की।

सन् 1866 में केशव सेन ने पुराने ब्रह्म समाज के स्थान पर भारत में नये ब्रह्म को स्थापित किया। कूच बिहार के राजकुमार से उनकी छोटी पुत्री के विवाह को लकेर उनके अनुयायियों के साथ उनका मतभेद हो गया। इस घटना ने ब्रह्म समाज में दूसरे विभाजन को जन्म दिया। वह असन्तुष्ट संगठन सुधारन ब्रह्म समाज के नाम से जाना जाने लगा। केशव से मात्र 45 वर्ष की अल्पायु में सन् 1884 में इस दुनिया से कूच कर गये।

 

क्रांति १८५७

आपके सुझाव सादर आमंत्रित

 

आपका ई-मेल

 
  आपका पासवर्ड
 
नया सदस्य ? रजिस्टर फ़्री

क्रान्ति से जुड़े प्रमुख शहर

 

अहमदाबाद

  अवध
  आज़मग़ढ
 

इलाहबाद

 

कडप्पा

 

करनूल

 

कालपी

 

कानपुर

  कारवार
 

कोटा

  कोल्हापुर
  गंजम
 

गोधरा

  गुन्टूर
  चिंगलपुट
 

जगदीशपुर

 

जोधपुर

  जौनपुर
 

झांसी

 

डाकोर

 

दाहोद

 

दिल्ली

 

नसीराबाद

  नारखेड
 

नांदोद

  नैलोर
  पुणे
 

पेशावर

 

बनारस

  बंगलौर
 

बरेली

 

बेरकपुर

  बिजापुर
  मछलीपट्टनम्
  मद्रास
 

मुजफ्फरनगर

 

मेरठ

 

मेवाड

  मैसूर
  राजमहन्द्री
  रूईयागढ़ी
 

लखनऊ

 

वेल्लूर

  विशाखापट्टनम्
 

सतारा

  सावंतवाड़ी
  सिरसा
 

सूरत

 

सौराष्ट्र

  हलगली
  हमीरपुर
  हाँसी
  हिसार

क्रान्ति से जुड़े प्रमुख राज्य

  असम
  उत्तर प्रदेश
  - बरेली
  - झांसी
  - लखनऊ
  - कानपुर
  - इलाहबाद
  - मुजफ्फरनगर
  - मेरठ
  - बनारस
  - आज़मग़ढ
  - हमीरपुर

  - जगदीशपुर
  - जौनपुर
  - रूईयागढ़ी
  - कालपी
  - दादरी
  - सिकन्दराबाद
  - गढ़मुक्तेश्वर
  - गुलावठी
  - हापुड़
  - हिन्डन
  - मुकीमपुर
  - पिलखुवा
  - सपनावत
  - सीकरी खुर्द
  - असौड़ा
  - बड़ौत
  - बाघू निरोजपुर
  - बझौट
  - बराल
  - बसौद
  - भदौला
  - धौलाना
  - घाट पाँचली
   उडीसा
  कर्नाटक
  - बेलगाँव
  - मैसूर
  - बंगलौर
  - बिजापुर
  - कारवार
  - हलगली
  - भाल्की
  - नरगुन्द
  - कोप्पल
  गुजरात
  - अहमदाबाद
  - सौराष्ट्र
  - सूरत
  - गोधरा
  - नांदोद
  - डाकोर
  - दाहोद
  जम्मू और कश्मीर
  तमिलनाडू
  - वेल्लूर
  - मद्रास
  - चिंगलपुट
   पश्चिम बंगाल
  - बेरकपुर
  - कलकत्ता
   पंजाब
  - रोहिणी
  - देवग़ढ
  - जालन्धर
   बिहार
  मध्य प्रदेश
  राजस्थान
  - नसीराबाद
  - नीमच
  - जोधपुर
  - मेवाड
  - कोटा
   हरियाणा
  - हिसार
  - सिरसा
  - हाँसी
   गोवा
  केरल
  महाराष्ट्र
  - सतारा
  - पुणे
  - सावंतवाड़ी
  - कोल्हापुर
  - नासिक
  - पेठ
  - त्र्यबकेश्वर
  - मुंबई
  - बीड
  आन्ध्र प्रदेश
  - कडप्पा
  - करनूल
  - नैलोर
  - विशाखापट्टनम्
  - गंजम
  - नारखेड
  - राजमहन्द्री
  - मछलीपट्टनम्
  - गुन्टूर

पडोसी देशो मे क्रान्ति

  पाकिस्तान
  बांग्लादेश
  अफ़गानिस्तान
  नेपाल
  बर्मा
  तिब्बत
  भूटान
  रूस
 

वेबसाइट के लिए प्राप्त संदेश

 

विमोचन समारोह

 

सहयोगकर्ताओ की सूची

 

प्रकाशक

 

संस्थान

 

सहयोगकर्ता

क्रांति १८५७
मुख्य पृष्ठ प्रस्तावना प्रमुख सवाल जवाब संपर्क करें सहायता आपकी राय
अ आ इ ई उ ऊए ऐ ओ औ अंक ख ग घच छ  ज झ ञट ठ ड ढ़ णत थ द ध नप फ ब भ म य र ल वश ष स ह ळ क्ष त्र ज्ञ

 

सर्जन कर्ता:
ज्ञान गंगा ऑनलाइन
उदयपुर मित्र मण्डल, डा. सुरेन्द्र सिंह पोखरणा, बी-71 पृथ्वी टावर, जोधपुर चार रास्ता, अहमदाबाद-380015,
फ़ोन न.-26925850 ,मोबाईल-09825646519, ई-मेल--sspokharna15@yahoo.com
इतिहास अध्यापक मण्डल, गुजरात

 

हाई-टेक आऊट सोर्सिंग सर्विसेज, हाई-टेक हाऊस, विमूर्ति कोम्पलेक्स के पीछे, हरेश दुधीया के पास, गुरुकुल, अहमदाबाद - 380052
फोन न.: -079-40003000 ई-मे ल:info@hitecho s.com वेब साइट:www.hitechos.com